शरद ऋतु के लगभग तीन महीने की इंतेजार के बाद प्रकृति को अपने व्यवहार में परिवर्तन महसूस होता है और जिन पेड़ पौधों की पत्तियां बेरंग होकर झड़ जाती है और बेजान हो जाती है और सर्दी कम होने के साथ ही उनमे बदलाव शुरू हो जाता है और प्रकृति अपने खूबसूरत रंगों में वापस आने लगती है और मौसम बेहद खुशनुमा हो जाता है सुख चुके पेड़ो में फिर से हरियाली छा जाती है मौसम में खुशनुमा माहौल बन जाता है यह मौसम भारत मे वसन्त ऋतु के रूप मे जाना जाता हैं।
माँ सरस्वती की पूजा करते है विद्या के लिए
वसन्त पंचमी को भारत के एक बड़े हिस्से में सरस्वती पूजा के रूप मे मनाया जाता है,बताया जाता है कि माँ सरस्वती का आगमन प्रकृति के सबसे खूबसूरत दिखने वाले मौसम के समय पर होता है जो वसन्त ऋतु ही है,माना जाता हैं कि माँ सरस्वती हंस पर सवार होकर आगमन करती है इसी वजह से उन्हें हंसवाहिनी भी कहा जाता हैं।
बसंत पंचमी पूजा विधि, ऐसे करें पूजा
कल बसंत पंचमी है सभी लोग प्रातः काल उठकर नीम और हल्दी का लेप लगाकर स्नान करे तत्पश्चात मां सरस्वती के साथ साथ गणेश पूजन करे और सरस्वती कवच का पाठ करे प्रसाद के रूप में खीर बना कर बच्चो में वितरित करे और मां और बिघन विनाशक से अपने सुखद जीवन की कामना करे।
पीले कपड़े पहने और अबीर लगाए
हिन्दू धर्म मे होली की शुरुआत वसन्त पंचमी के दिन से ही होती है तथा इसदिन कई जगह सुखी होली खेली जाती है इसलिए इस दिन पीले वस्त्र का धारण करे और अबीर का इस्तेमाल जरूर करे कहा जाता है कि इस दिन अबीर लगाने से आने वाली जिंदगी खुशियों से भर जाती है और रंगों में मा सरस्वती को पीला सबसे अधिक प्रिय होता है तो यथासंभव हो तो पीले वस्त्र ही धारण करे।
साफ सफाई का रखे ख्याल, सुनिश्चित करे स्थान
माँ सरस्वती की आराधना करने से पहले तय करले की उनकी प्रतिमा को कहा स्थापित करना है हो सके तो किसी पुरोहित को बुला कर दिशा की जांच करवाएं उसके बाद ही प्रतिमा को स्थापित करे ,माँ जहा पर स्थापित हो वहाँ पर अंधेरा न होने दे इससे माँ सरस्वती क्रोधित हो जाती है और कोई माँ के पास रात भर दिया जलाने के लिए भी बैठे इसके लिए सब कुछ पहले ही सुनिश्चित कर ले।
इन तरीकों से आप अपनी आराधना योजनाबद्ध तरीके से कर सकते है और माँ सरस्वती का आशीर्वाद ले सकते है ताकि मा की कृपा आप पर बनी रहे और माँ आपको दीर्घायु एवं शिक्षा प्रदान करे।