कहते हैं अगर आपके पास प्रतिभा हो तो आप किसी के मोहताज नहीं होते कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जम्मू के रहने वाले उमरान मलिक ने। उमरान मलिक इस साल इंडियन प्रीमियर लीग में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम के साथ खेल रहे हैं और उन्होंने अपनी प्रतिभा से सबका ध्यान अपनी और आकर्षित किया है। 22 साल के इस युवा तेज गेंदबाज ने इंडियन प्रीमियर लीग के इतिहास की सबसे तेज गेंद डाल कर सबको चौंका दिया है। उन्होंने अभी तक सनराइजर्स हैदराबाद के लिए शानदार गेंदबाजी की है। लेकिन एक समय में वह बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजरे हैं और उनके पिता आज भी जम्मू के शहीदी चौक पर अपने फलों का ठेला लगाते हैं। बेटे की स्टार बनने की खुशी उनके चेहरे पर साफ झलकती है लेकिन जब उनसे यह कहा जाता है कि आपका बेटा तो अब स्टार है फिर इस फल के ठेले लगाने की क्या जरूरत है तब बताते हैं उन्होंने क्या कहा।
अपने बेटे पर गर्व है मुझे- उमरान के पिता
इंडियन प्रीमियर लीग में सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ से खेल रहे 22 साल के युवा उमरान मलिक ने अपनी गति और गेंदबाजी से सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। 22 साल का यह युवा तेज गेंदबाज लगातार 150 की गति से ऊपर की गेंदबाजी कर रहा है जिस वजह से बहुत ही कम समय में चयनकर्ताओं की नजर उन पर टिक चुकी है और वह दिन दूर नहीं होगा जब वह भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बना लेगा। लेकिन यहां तक आने के पहले मलिक ने बहुत संघर्ष किया है, यह उनके पिता के जीवन को देखकर साफ पता चलता है। उमरान मलिक के पिता शहीदी चौक जो जम्मू में है। वहां पर फलों का ठेला लगाते हैं और उनका कहना है कि वह अपने बेटे के प्रदर्शन से बहुत खुश है। वह चाहते हैं कि वह भारत के लिए खेले और नाम रोशन करें। यह पूछे जाने पर कि अब तो आपका बेटा स्टार हो गया है आप फिर भी फलों का ठेला क्यों लगाते हैं? इसके जवाब में जो उन्होंने जवाब दिया वह आपके दिल खुश कर देगा
फल बेच कर बेटे को बनाया सुपरस्टार
अपने शुरुआती छह मुकाबले में फास्टेस्ट डिलीवरी डालने वाले गेंदबाज उमरान मलिक लगातार 150 प्लस की गेंदबाजी करते हैं और उन्होंने अपनी मेहनत के बदौलत यह प्रदर्शन किया है। लेकिन उनके पिता आज भी से जम्मू के शहीदी चौक पर फलो का ठेला लगाते हैं इस बात पर उन्होंने कहा है कि यह ठेला ही मेरी जिंदगी का सहारा है। मैंने अपने बच्चों को इसी ठेले के फल को बेच कर बड़ा किया है। पहले यह ठेला मेरा होता था लेकिन अब यह उमरान मलिक के पिता का ठेला है। जब तक मैं जिंदा हूं, तब तक इस ठेले पर फल बेचूंगा क्योंकि मैंने यहीं से शुरुआत की थी और आदमी को अपनी शुरुआत कभी नहीं भूलनी चाहिए। साथ ही वह अपने बेटे के प्रदर्शन से बेहद खुश हैं और बहुत ही जल्द चाहते हैं कि उमरान भारतीय टीम के तरफ से खेलता नजर आए।